मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना

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मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना,
लेकर कुछ बहाना घर से निकलना ।
वो गलियों से होकर चौपले पर पहुँचना।
तेरे कॉलेज तक साथ-साथ चलना,
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना।।

वो बस भी हमनवां थी, हम दोनों की गवाह थी।
कुछ तेरे कुछ मेरे, पगले से यारों की एक टोली थी।
एक सीट जो कभी ना बिछड़ी हमसे, सिर्फ अपनी थी।
कैसे भूल जाऊँ मैं वो सब, कैसे भूल जाऊँ मैं तेरे संग बैठना।
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना।।

वो तेरा भोलापन, वो तेरी सादगी।
वो तेरा मुस्कुराना और यूँ खिलखिलाना।
मैं खो चुका था तुझमें, और जी रहा था तुझको।
वो सुनहरे दिन और गुलाबी रातें, वो खुद से बस तेरी बातें करना।
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना।।

एग्जाम तो एक बहाना था, लखनऊ तक ही सही मगर तेरे साथ जाना था ।
तेरे साथ बिताए उन पलों का एहसास ही काफी था।
और क्या चाहिए था बस तेरा साथ ही काफी था ।
मुझे हरदम भाता था तेरे संग यूँ घूमना,
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना।।

मेरे लिए तेरा सबसे झगड़ना।
अपने कॉलेज के टूर पे मुझे एडजस्ट करना ।
मेरी मार्कशीट के लिए क्लर्क से लड़ना।
मेरे हर काम को यूँ तन्मयता से करना,
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना ।।

सीधे से रास्ते को यूं लंबा खींचना।
एक गली में घुसना और चौथी में निकलना।
रास्ते की फब्तियों से तेरा परेशान होना।
फिर मेरे झगड़ने पर तेरा मुझे रोकना,
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना।।

तेरी वो फिक्रमंद आँखें रात रात भर जागी थीं।
मैं था बेपरवाह सा कभी यहाँ कभी वहाँ और तेरी साँसें आधी थीं।
जब तक नींद में ना सो जाऊँ मैं तेरी आँखों से भी नींद भागी थी।
जिंदा हैं आज भी वो खुशनुमा एहसास, जिंदा है वो मेरा जलना और तेरा पिघलना।
मुझे आज भी याद है तेरा साथ चलना।।

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