Posts

Showing posts from June, 2018

शायद तेरे जाने की वजह है

क्यों आज फिर से खामोश हूँ मैं, शायद तेरे जाने की वजह है। एक अजीब सी उदासी छायी है, शायद तेरे जाने की वजह है। जुड़ा नहीं मैं आज खुद से ही, अंदर कुछ टूट रहा है शायद। टूट कर बिखर रहा है आशियाना मेरा, कोई तूफान उठा है शायद। ना रोक सका मैं उदासी भरे उस लम्हे को, तुझसे कुछ उम्मीद थी शायद। एहसास तुझे भी रहा होगा मेरे जज़्बातों का, ये मेरी भूल थी शायद। कुछ यूं गुजरती हैं शामें मेरी, अब तेरे जाने के बाद। गुमसुम सा रहता हूँ, है बस तेरी यादों का साथ। कुछ खोया सा कुछ डूबा सा, तेरी यादों के समुन्दर में। लिए किनारे की उम्मीद कुछ यूँ बैठा हूँ। लौट कर आएगी फिर वो कश्ती, इंतज़ार किये बैठा हूँ। खामोशी भरी रात, उसपे ये बारिश का पानी। आसमाँ भी सुना रहा हो मानो कोई कहानी। तेरा भी कोई अपना गया है दूर शायद, जो यूँ रोये जा रहा है। आ बांट ले गम अपना, क्यों आंसू पे आंसू गिराए जा रहा है । आ मिल बैठें कुछ देर, इस भीगे से मौसम में। कुछ तू सुना अपनी, कुछ मैं सुनाऊँ। बहाना भी है आंसुओं को छुपाने का, कुछ तू भीगा सा है कुछ मैं भीग जाऊँ। यूँ ही चलती रहे ये रात, दिन में कुछ अजीब सा लगत