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Showing posts from September, 2020

आज फिर से तू मुझे बिखरने दे

आज फिर से तू मुझे बिखरने दे। पत्ता-पत्ता टूटकर तू आज गिरने दे। मैं कल फिर आऊँगा, हर तिनका उठाकर आशियाना बनाऊंगा, तू बस थोड़ा सा मुझे सँभलने दे।। मैं टूटकर बिखरा तो बिखरता चला गया। अपनी मंजिल से फिसला तो फिसलता चला गया। तू सब्र रख और देख मेरा हौसला, तू हारेगा, भले ही आज मुझे आगे ना बढ़ने दे। तू बस थोड़ा सा मुझे सँभलने दे।। तू भले अंधेरे चुन मेरे लिए, रोशनी मैं बनाऊँगा। तू काँटे बिछा राहों में मेरी, उनपे चलके मैं जाऊँगा। देखता हूँ कब तक दूर रहती है मुझसे मंजिल मेरी। मैं फिर से तैयार हूँ, तू मुझे जरा मैदान में तो उतरने दे। तू बस थोड़ा सा मुझे सँभलने दे।। आज गर्दिशों में हैं मेरे सितारे तो क्या हुआ। लोग भी आज मुझसे दूर हुए तो क्या हुआ। मैं मुश्किलों को चीरकर आऊँगा और छा जाऊँगा। फिर लोग भी आएंगे और भीड़ भी होगी। तू जरा ये काले बादल तो छँटने दे। तू बस थोड़ा सा मुझे सँभलने दे।। तू हर बार मुझसे यूँ रूठता है, कि मैं टूटकर बिखर जाता हूँ। जब देखता हूँ अपने अंदर का खालीपन, तो सहम जाता हूँ। फिर समेटता हूँ कुछ हिम्मत जो बाकी है मुझ में। मेरा नसीब फटा हुआ ही सही, तू जरा इसे सिलने तो दे। तू बस थोड़ा सा मुझे

कहीं खो गया हूँ मैं

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  इस भीड़ भरी दुनिया में अपना वजूद तलाशता हूँ मैं। मैं हूँ कि नहीं हर वक़्त ये सोचता हूँ मैं। कभी लगता है कि कहीं खो गया हूँ । खोया हुआ ही सही, खुद को पाना चाहता हूँ मैं। इस दुनिया में मिले कई चेहरे मुझे। कुछ झूठ में सने तो कुछ मुखौटा लगाये दिखे मुझे। सब अपनी मर्ज़ी से मुझे समझने में लगे थे। ऐसा कोई ना था जो मुझसे समझ पाए मुझे। अंदर जो अँधेरा सा है वो अब अच्छा लगता है। इस अँधेरी खामोशी में जो अपनापन है वो सच्चा लगता है। रौशनी में भी क्या मिला, स्वार्थी लोग और गंदी सोच। खुद से ही बातें करना, अब अच्छा लगता है। कुछ टूटा सा कुछ बिखरा सा मैं खुद में ही खोया हूँ। इस दुनिया से दूर किसी कोने में अकेला ही सोया हूँ। लोग भी हैं साथ भी है लेकिन अंदर एक खालीपन सा है। मैं यूँ अंधेरे में किसी जुगनू की तरह खोया हूँ। ज़िन्दगी के इस सफ़र में ठहर सा गया हूँ मैं। मंज़िल भी है रास्ता भी है, पर कहीं बिछड़ सा गया हूँ मैं। समझ नहीं आता मैं कहाँ जाऊँ और क्यों जाऊँ। सब कुछ होकर भी कुछ ना होना, कुछ इस तरह उलझ सा गया हूँ मैं। अंदर ही अंदर मैं सिमटता जा रहा हूँ। दिन कट रहे हैं और मैं गिनता जा रहा हूँ। कभी वो दिन भी आएगा