ऐ वक़्त थम जा ज़रा

ऐ वक़्त थम जा जरा साँस तो लेने दे, हूँ घायल तेरी मार से जरा संभलने का मौक़ा तो दे ।
यूँ ही हार जाना फितरत में नहीं मेरी, पर हौसला समेटने का मौक़ा तो दे ।
ऐसा नहीं कि मैंने तेरी कद्र ना की, मैं उलझा रहा बस तेरे दिए सवालों में।
ढूँढता रहा जवाब मैं बड़ी शिद्दत से, घूमता रहा ख़यालों में।
कुछ सवाल सुलझे तो कुछ अनसुलझे हैं अभी।
लगता है तेरा कहर कुछ बाकी है अभी।
बेशक तू क्रूरता की हद पार कर दे,
मगर याद रखना मुझमें कुछ जान बाकी है अभी।
तेरे ज़ुल्मो सितम से भी कुछ तो जाना मैंने,
कौन अपना है कौन पराया ये पहचाना मैंने।
चला था कुछ अरमां लिए मैं दिल में उस भीड़ से अलग।
सफर भी मुश्किल था मेरा, थीं मंजिलें मेरी सबसे अलग।
तूने ऐसी करवट बदली मैं रह गया पीछे,
ना पा सका मुकाम अपना जो सोचा था सबसे अलग।
इस कदर इन अंधेरो में खो जाऊँगा ये तो मैंने सोचा ना था।
ढलेगा दिन और ढलता ही रहेगा ये तो मैंने सोचा ना था।
जारी है तेरा सितम आज भी मुझपे,
और ये यूँ जारी रहेगा ये तो मैंने सोचा ना था।
वक्त बेवक्त ही सही ऐ वक्त, कभी मेरी भी सुना कर।
तू है तो मेरे आस पास लेकिन है कहाँ, परेशान हूँ मैं ये सोचकर।
हर नाउम्मीदी में तुझे तलाशा मैंने बड़ी उम्मीद के साथ।
पर तुझे तरस ना आया और मैं खुद ही रो पड़ा खुद की हालत देखकर।
तेरे इस भँवर में ऐ वक्त मैं परेशान तो हुआ हूँ।
लेकिन अंदर ही अंदर कुछ मजबूत भी हुआ हूँ।
समेट लिया है इतना विश्वास मैंने अपनी माँ की दुआओं के साथ,
कि आज तक जो ना था मैं वो आज हुआ हूँ।।
मैं लौट के आऊँगा ये वादा है तुझसे,
तुझको तुझी से चुराऊंगा ये वादा है तुझसे।
समेट लेना सारे तीर अपने तरकश में,
तेरा वो तरकश ही उड़ा ले जाऊंगा ये वादा है तुझसे।।

Comments

Popular posts from this blog

कहीं खो गया हूँ मैं

मैं अकेला हूँ और अकेला चला जा रहा हूँ।

आज फिर से तू मुझे बिखरने दे